कई दिनों बाद आज एक बार ऐसा लगा मानो बचपन में माँ से सुनी कहानियों की बूढी पर खूबसूरत परी जिसे माँ परियों की नानी कहा करती थी ,वो खुद चलकर मिलने आई हो.
चांदी से सफ़ेद बाल,आँखों में चमक और बातों में खूब सा स्नेह.८४ वर्षीय कामिनी कौशल को देखकर मेरी पहली प्रतिक्रिया बिलकुल ये ही थी.अपने समय की मशहूर अदाकार रहीं कामिनी से बातचीत की शुरुआत में ही मुझे समझ आने लगा था की क्यूँ दिलीप कुमार साहब भी अपनी आत्मकथा में इनसे पहली ही नज़र में आकर्षित होने की बात लिखने से नहीं चूके.१९४६ में नीचा नगर नामक फिल्म से अपना फ़िल्मी सफ़र शुरू करने वाली कामिनी,जिसने बाद में शहीद और शबनम जैसी हिट फिल्म्स दी और फिर लक्स का पहला खूबसूरत चेहरा भी चुनी गयीं,अब बहुत आगे निकल आई हैं.१९४६ में नीचा नगर में काम करने के एक साल भीतर शादी की,पति के साथ मुंबई आयीं और फिर करियर आगे बढाया/१९६५ तक मुख्य भूमिकाओं के बाद चरित्र अभिनेत्री के तौर पर पारी शुरू करते हुए १९८०तक लगातार फिल्में करने क बाद,अब वो बच्चों के लिए कहानी लिखती हैं,कठपुतलियां बनाती हैं और फिल्में भी.
अभी लखनऊ में हुई मुलाक़ात में एक खूबसूरत गुडिया और दो अपने ही हाथ से बनाये पुतले दिखाए,आँखों में इतनी चमक थी जैसे अभी बहुत कुछ करना बाकी हो.मीडिया से लगातार ३ घंटे मिलने के बाद बोलीं "थोडा आराम कर लूं...अब गला भी साथ नहीं दे रहा".वाक्य में निवेदन का स्वर मुखर था,पर पानी पीकर और २० मिनट सुस्ता कर जैसे वो फिर १९४६ वाली कामिनी कौशल हो गयीं,उठकर बोलीं...."कहिये कहाँ चलना है?"
इस अदाकारा से उनकी उम्र के इस पड़ाव में मिलना मेरे लिए बिलकुल परियों की कहानी को जीने जैसा था.
खैर,जो भी हो ये मुलाक़ात यादगार है.
8:41 PM |
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kamini kaushal ji ke kaushalya ka koi jawaaab nahin Shefali!!! Unke haathon ki banayi Gudia, Putle, Kathputliyan, ektarfa abhinay, sunderta aur un sab se aage unke chahare par chmakta aatmviswaas!! unke saath ek sunder samy bitane ki liye badhaaiyan!!! Divya :)
Kitni yaadein sahsa ankhon mein tair gayi..
kaamini kausal ko dekh kar.. inki aawaz me bachpan jiya hai...